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Monday, 21 November 2011

अमिताभ का आखिरी रास्ता!

ट्विटर के सहारे,  महा-नायक बिचारे
 गांव की कहावत है, कि बड़ा कौर (रोटी का टुकड़ा) खा ले, बड़े बोल न बोले । इस लेख को लिखते वक्त ये कहावत बखूबी मेरे जेहन में है। इस कहावत को मुझे अपने जेहन में रखने की जरुरत इसलिए है, क्योंकि मैं सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और उनके परिवार से जुड़े मुद्दे पर लिखने की हिम्मत कर रहा हूं।
देश के मीडिया ने महा-नायक की पुत्र-वधू ऐश्वर्या की होने वाली संतान की खबरें, संतान के जन्म से पहले ही तानना शुरु कर दीं। भारत के न्यूज-चैनलों की भाषा में किसी खबर को अतितक पहुंचाने के लिए जो शब्द इस्तेमाल होता है, उसे ही तानना कहते हैं। दूसरे शब्दों में तानने का मतलब ये भी होता है, कि दर्शक को कोई चीज इस हद तक दिखा दो बार-बार,  कि उसे उल्टी (बोमेटिंग) होने लगे।
महानायक और उनका परिवार समझदार है। बच्चन खानदान अपनी पोजीशन और देश के मीडिया की हकीकत से भली-भांति वाकिफ हैं। मीडिया ने जैसे ही ऐश्वर्या राय बच्चन के संतान पैदा होने की डेट”, बच्चन परिवार से पहले खुद ही तय कर डाली....11.11.11, उसी समय बच्चन परिवार के कान खड़े हो गये। बच्चन खानदान के कान इसलिए खड़े हो गये कि ऐश्वर्या राय के संतान तो ईश्वर द्वारा निर्धारित समय पर ही जन्म लेगी, लेकिन मीडिया उससे पहले न मालूम कितनी बार ऐश्वर्या को मां बनवा चुका होगा। सिर्फ और सिर्फ अपनी ब्रेकिंग के फेर में।
बस बच्चन परिवार का मीडिया को लेकर यही अनुभव एकदम कुलांचें (छलांगें) मारने लगा। जब मीडिया ने अपनी खबरों में तय कर दिया, कि ऐश्वर्या 11.11.11 को संतान को जन्म देंगीं। बात तारीख का खुलासा करने तक ही रहती तो भी बच्चन परिवार सहन कर लेता। देश के सबसे तेज मीडिया को। हद तो ये हो गयी, कि जिस अस्पताल में बच्चन परिवार की बहू बच्चा जनेंगीं(पैदा करेंगी) उसका नक्शा मतलब पूरा भूगोल तक मीडिया ने सामने ला दिया। बस इसे ही अति कहते हैं।
बच्चन परिवार जानता था कि मीडिया को मनाने से कोई फायदा नहीं। जितना मीडिया को मनाने की कोशिश करेंगे, उतना ही वो और फैलेगा। सो अमिताभ बच्चन ने मोर्चा संभाला। और दो टूक ऐलान कर दिया कि उनके घर जन्म लेने वाले नन्हें मेहमान के बारे में अगर किसी ने जरा भी कलम चलाई(अखबार) या मुंह खोला(न्यूज चैनल)। तो उनकी खैर नहीं। सदी के महा-नायक की ये घुड़कीअसर कर गयी।
अरे ये क्या? घुड़की इस कदर असर करेगी या फिर घुड़की की डोज” (खुराक) इतनी ओवर (जरुरत से ज्यादा) हो जायेगी, ये तो बच्चन खानदान ने सपने में भी नहीं सोचा था, कि उनके घर में आने वाले नन्हें मेहमान की खबर मीडिया से बिलकुल ही नदारद हो गयी। बिलकुल वैसे ही जैसे बिचारे किसी गंजे के सिर से बाल ।
मीडिया ने 11.11.11 को ऐश्वर्या के संतान पैदा होने की जो खबरें प्लांट कीं, सो कीं। प्लांट इसलिए कि बच्चा 11.11.11 को न पैदा होना था, न हुआ । बच्चा ईश्वर द्वारा निर्धारित दिन तारीख पर ही बच्चन परिवार में शामिल हुआ। लेकिन मीडिया की लगाम कसना बच्चन परिवार को भी कहीं न कहीं कुछ अलग से अहसास जरुर करा गया। वो अहसास, जिसकी कल्पना भी बच्चन परिवार ने नहीं की होगी।
ऐश्वर्या की कोख से बेटी ने जन्म लिया। बच्चन परिवार ने इस खुशी को अपने मुताबिक इन्ज्वाय किया। बिना किसी शोर-शराबे, धूम-धड़ाके के। अस्पताल के गेट पर न किसी न्यूज-चैनल का कैमरा, न किसी अखबार का कोई रिपोर्टर। बिलकुल सन्नाटा। 
बच्चन परिवार के सदस्यों ने पहली बार अपनी किसी खुशी में शायद ऐसा सन्नाटा अपनी आंखों से देखा। जिसमें इंसानों की बात बहुत दूर की रही, कौवा भी अस्पताल की मुंडेर (दीवार का कोना) पर नये मेहमान की खुशी में कुछ बोलने के लिए नहीं आया । बच्चन परिवार अस्पताल की चार-दिवारी में डाक्टर, नर्सों और कुछ अपने परिवारीजनों के बीच, सिमटी खुशी मनाता रहा। शायद इसी सन्नाटे से बच्चन परिवार के मेम्बरों के दिमाग में तूफान उठा। और याद आये होंगे जिंदगी के वो लम्हे, जब छोटी-छोटी बातों पर मीडिया वाले महा-नायक की एक झलक, एक बाइट (न्यूज चैनल की भाषा में इंटरव्यू) के लिए घंटों उनकी देहरी पर एड़ियां रगड़ते थे । झकझोर दिया होगा, महा-नायक को अपने ही फैसले ने। कानों में दूर-दूर तक कहीं से भी नहीं सुनाई दे रही थीं मीडिया वालों की, वो आवाजें...सर प्लीज इधर देखिये...सर प्लीज एक मिनट...अमित जी प्लीज एक सेकेंड...रुकिये...। और न ही पड़ रही थीं, चेहरे पर सौ-सौ कैमरों की लाइटें। शायद अब अहसास हो गया था, बच्चन परिवार को अपने एक उस फैसले का। जिसने उन्हें कर दिया एक झटके में अपने तमाम चाहने वालों से दूर। खबरों और सुर्खियों से दूर। और रास्ता बचा था, अपनी खुशी को बांटने का उनके पास तो बस... ट्विटर ..ट्विटर.. ट्विटर...और ब्लॉग.....जिस पर खुद ही पिता पुत्र बार-बार लिख रहे थे...खुद ही...
ऐश्वर्या के बेटी हुई है...हमारे घर में नन्हीं परी आयी है...अमिताभ के सुपुत्र अभिषेक बच्चन और उनकी बेगम साहिबा यानि अमिताभ की पुत्र वधू ऐश्वर्या राय बच्चन सोशल नेटवर्किंग साइट पर जाकर पूछ रही/ रहे कि उनकी बेटी के लिए अक्षर से शुरु होने वाला खूबसूरत सा नाम सुझायें आप लोग। आप लोग से मतलब बच्चन खानदान को चाहने वाले।
जब मैने अमिताभ और उनके परिवार को ब्लॉग और ट्विटर पर इस हाल में बार-बार, कई बार देखा, तो मुझे भी अहसास हुआ, कि आखिर कितना खला होगा, महा-नायक को अपना ही एक वो फैसला, जिसने उन्हें खुशी बांटने में भी कर दिया अपनों से बेगाना। अकेला । एक दम तन्हा । बच्चन साहब हर इंसान अपने आप में कभी परिपूर्ण नहीं हो सकता। न आप और न मैं। बच्चन साहब ईश्वर ने हर इंसान के दिमाग (मष्तिष्क) का वजन तीन पौंड ही रखा है, लेकिन सबकी सोच अलग बनाई है।
मैं मानता हूं कि मार्डन मीडिया की अति से किसी को भी एलर्जी हो सकती है। इसका मतलब ये तो नहीं,  कि इस एलर्जी से आप खुद ही अपनी खुशियों को अपनों के साथ बांटने के रास्ते ही बंद कर लें । 

Monday, 14 November 2011

माफ करना मिसेज बच्चन!

 जय हो! मीडिया के मठाधीशों की....

बचाओ ऐसी बुद्धिजीविता से..
 जी हां। करा-धरा किसी ने, और माफी मैं मांग रहा हूं। मिसेज बच्चन से। मिसेज बच्चन यानि ऐश्वर्या राय बच्चन। माफी इसलिए कि मैं मीडिया से जुड़ा हूं। और मिसेज बच्चन, मीडिया अपने दावों पर खरा नहीं उतर पाया है। देश के पूरे मीडिया ने आपसे वायदा ही नहीं किया, ईश्वर और आपको खुली चुनौती भी दी थी। इस बात की चुनौती कि ऐश्वर्या के संतान 11 नवंबर 2011 (11.11.11) को ही जन्म लेगी। हमपेशा (मीडिया) किसी एक भाई के दिमाग की उपज थी, कि ऐश्वर्या संतान को 11.11.11 को ही जन्म देंगी। बस पिल पड़े सब  भाई एक भाई के पीछे। जिसके दिमाग में माल (खबर)बेचने का जितना भद्दा आइडिया आया। उसने उसी आइडिये के मुताबिक ऐश्वर्या तुम्हारी संतान का जन्म करा डाला। न्यूज-चैनलों ने बाकायदा आधे-आधे घंटे के "खास-बुलेटिन" और अखबार के कर्ता-धर्ताओं ने आधे-आधे पेज का मैटर "प्लांट" (प्लान) कर दिया।ये बात दूसरी है कि ऐश्वर्या जो काम तुम्हें करना था। वो तुमसे पहले हम-सबने (खबरनवीस) कर डाला। और तुम ऐसा  न करके हमसे हार गईं। अपनी कोख में पल रही संतान को जन्म तुम्हें (ऐश्वर्या) दिलाना/ देना था। लेकिन ये काम कर बैठे तुमसे पहले हम। ब्रेकिंग, मसालेदार और गरम के चक्कर में । हमने तुम्हारे लिए अस्पताल और अस्पताल में वो "स्यूट" (कमरा) भी बुक करा दिया, जिसमें बच्चे को जन्म तुम्हें देना था। ये अलग बात कि उस रुम के बारे में तुम्हें, तुम्हारे पति अभिषेक, ससुर अमिताभ बच्च्न और सास जया बच्चन को भले ही नहीं मालूम।
शांत परिवार, अशांत माहौल
देखिये अगर ये सब आपको या आपके अपनों को नहीं मालूम, तो इसके लिए भी आप सब खुद जिम्मेदार हैं। और ये आप सबकी लापरवाही का द्धोतक है। हमें (मीडिया) तुम्हारी और तुम्हारी होने वाली संतान की चिंता ज्यादा थी। इसलिए बिना वक्त गंवाये,  अस्पताल से लेकर तुम्हारे बच्चा पैदा करने तक की तारीख तक हमने "फिक्स" कर दी। सिर्फ तुम्हारा सबसे बड़ा शुभ-चिंतक होने के नाते।
अब 11.11.11 को तुमने बच्चा नहीं "जना", तो इसमें भी गलती तुम्हारी है। बताओ भला हम क्या कर सकते हैं?  हमारी भला क्या गल्ती? जब हमने तुम्हारे लिए इतना सबकुछ इंतजाम कर दिया। तो कम से कम अब तुम्हें भी तो अपनी कुछ जिम्मेदारी निभानी चाहिए थी। क्या तुम्हारा फर्ज नहीं बनता, कि हमारे तमाम इंतजामों की इज्जत रखने के लिए तुम....(ऐश्वर्या राय) 11.11.11 को ही बच्चे को जन्म दे देतीं। ये तो तुमने हमसे (मीडिया) कोई पुरानी दुश्मनी का हिसाब चुकता किया है। 11.11.11 को संतान का जन्म न कराकर।

बताओ क्या करुं जागरुक मीडिया का?
तुम्हारी संतान का आने वाले 100 साल तक का भविष्य भी हमने निकलवा लिया। उसके जन्म से पहले ही। चैनल की "टीआरपी" और अखबार की "पाठक-संख्या" बढ़ाने के लिए हमने क्या कुछ नहीं किया ऐश्रवर्या। देश का ऐसा कोई नामी-गिरामी ज्योतिषी, मौलवी नहीं बचा, जिससे दाम की दम पर हमने तुम्हारे बच्चे के रोम-रोम का 100 साल आगे तक का हाल पता न कर लिया हो। सबने तुम्हारी उस संतान का भविष्य उज्जवल ही बताया, जो भी हो ऐश्वर्या जी। हम देश के जिम्मेदार नागरिक हैं। हम बुद्धिजीवी हैं। हम जागरुक हैं। इसलिए अपने घर से पहले हमें दूसरे के घर की चिंता होती है। और इसीलिए हम प्राथमिकता पर तुम्हारे द्वारा बच्चे को जन्म देने के मामले में सबसे पहले आ खड़े हुए थे। इंसानियत के नाते। लेकिन तुम्हें शायद ये भी मंजूर नहीं था। और इसीलिए तुमने हमारे बताये समय, दिन, तारीख पर संतान को जन्म नहीं दिया। कोई बात नहीं।
तुम्हारी इस संतान के मामले में जो कुछ या जैसे भी तुमने और तुम्हारे परिवार ने हमारे (मीडिया) करे-कराये पर पानी फेरा है। उसे हम खून का घूंट पीकर सहे ले रहे हैं। लेकिन अगली बार तुम हमारा साथ देने में, या फिर हमारे दावों की हवा इस तरह निकालने की भूल मत करना।
मिसेज बच्चन इस मौके पर मुझे दु:ख व्यक्त करना है, उन बद-किस्मत पतियों (हसबैंड्स) के प्रति, जिनकी पत्नियों ने हमारी खबरें पढ़-सुनकर, तुम्हारे चक्कर में 11.11.11 को ही अपनी संतान को "जबरन" पैदा कर डाला। जो आने वाले समय में "वे-वक्त" की औलाद या समय से पहले की ही औलाद समझी जायेगी। और इन संतानों के माता-पिता से तुम्हारे चक्कर में वसूल ली कई गुना धनराशि। असमय या समय से पहले ही (11.11.11के फेर में) संतान को जन्म दिलवाने के मेहनताने (फीस) के रुप में।
देश के जागरुक मीडिया की ओर से इस बार मुझे माफ कर दें।  हम तुमसे अपने मन-मुताबिक तुम्हारी ही संतान का जन्म नहीं करा सके।
माफ करना मिसेज बच्चन। तुम्हारे देश का। तुम्हारा अपना।
एक बुद्धिजीवी पत्रकार,