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Sunday, 2 November 2014

"अजय की आवाज" ब्लॉग पर स्व. अजय एन झा की अंतिम पोस्ट

नीचे दिये लिंक को क्लिक करके देखने और पढ़ने के लिए समय निकालें। यह लिंक देश के बड़े और स्वाभिमानी पत्रकार श्री अजय एन झा के ब्लॉग http://ajaykiawaz.blogspot.in/ पर उनकी अंतिम पोस्ट का लिंक है। ये पोस्ट शनिवार 29 जून 2013 को तड़के करीब साढ़े तीन बजे ब्लॉग पर डाली गयी थी।

http://ajaykiawaz.blogspot.in/search?updated-min=2013-01-01T00:00:00-08:00&updated-max=2014-01-01T00:00:00-08:00&max-results=2

"ना जाने कितने दीदये-तर छोड़ जाउंगा" अजय एन. झा की अधूरी हसरत

CRIMES WARRIOR EXCLUSIVE

ABOUT ME अपनी नज़र में अजय एन. झा 

पत्रकारिता पहला प्यार नहीं, हसरत प्रोफेसरी की थी-अजय एन. झा

मेरे लिए पत्रकारिता पहला प्यार नहीं था, मेरी इच्छा 

थी कि मैं बहुत बड़ा प्रोफेसर बनूं और वो भी जेएनयू 

में..। मगर वहां से अपनी पढ़ाई ख़त्म 

करते करते ये भ्रम टूट गया। 

मुझे लगा कि पत्रकारिता के ज़रिए मैं देश 

और समाज के उन अछूते पहलुओं तक पहुंच पाऊंगा जहां आम तौर पर 

बंद कमरे में बैठे विद्वान और विचारक नहीं पहुंच पाते मगर उसके 

बारे में लंबा-चौड़ा भाषण ज़रुर देते हैं। मुझे लगा कि उन सभी चीज़ों को 

नज़दीक से देख पाना शायद मेरे लिए बेहतर तालीम होगी और वो सच 

भी हुई।

Friday, 31 October 2014

यशवंत ठोंकता तो सही है, लेकिन उसने (भड़ास) दुश्मन पाल लिये हैं

पूर्वी दिल्ली में ईस्ट एंड अपार्टमेंट की वो शाम, मैं और अजय नाथ झा

तारीख तो याद नहीं...हां महीना यही रहा होगा मई या जून, सन् 2013 । भयानक गर्मी। वक्त शाम करीब सात बजे के आसपास। जगह नोएडा से सटा पूर्वी दिल्ली का ईस्ट एंड अपार्टमेंट। इसी अपार्टमेंट के एक फ्लैट में रहते थे अजय नाथ झा, बेटे कैलविन और भाभी रीना के साथ। चाहे घर में कोई भी मेहमान हो। शाम के समय अजय झा का अपार्टमेंट के अंदर की सड़कों पर डेढ़ दो घंटा टहलना जरुरी था। यह बात अजय जी ने उसी दिन मुझे बताई थी। सो नाश्ता पानी करने के बाद सोफे से उठ खड़े हुए और बिना किसी भूमिका के बोले- बाबा चल मेरे टहलने का टाइम हो गया है। टहलते रहेंगे और गप्प भी करते रहेंगे।लिफ्ट में कुछ नहीं बोले। लिफ्ट से बाहर आते ही पूछा- और बता बाबा मार्केट (मीडिया और मीडिया वालों का) का क्या हालचाल है?