जब नाम समाजवादी पार्टी है, तो जाहिर है कि बतौलेबाजी भी 'समाजवाद' की ही होगी। समाजवाद का रुप,चेहरा-मोहरा सुंदर, सभ्य, शालीन होना चाहिये या फिर वीभत्स...! इसकी गारंटी समाजवाद की बैसाखियों पर राजनीति कर रहे मुलायम सिंह से लेकर सूबे की सल्तनत के सर्वे-सर्वा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक कोई लेने/ देने को तैयार नहीं है।