एफआईआर नंबर....236 धारा.......505(2)/506/507इस एफआईआर से कई बातें निकलती हैं।
दिनांक......14.12.2011 थाना-दरियागंज, सेंट्रल दिल्ली

ये वो एफआईआर है, जो दिल्ली पुलिस ने दर्ज की है।
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अन्ना और उनकी जान को खतरा है। अन्ना को सजगता बरतनी चाहिए।
दूसरे इस गुमनाम पत्र से दिल्ली पुलिस की हालत इतनी खराब है, कि जांच में स्पेशल सेल, स्पेशल ब्रांच(सीआईडी) और क्राइम ब्रांच जैसी अपनी तीनों और सबसे ताकतवर विंग्स को भी उसने जुटा दिया है। इस चिट्ठी पर दर्ज हुई एफआईआर से ये भी साबित होता है, कि अन्ना को पहली बार देश में जान से मारने की धमकी दी गयी है। अब तक इतने लंबे समय में कभी भी ऐसी बात अन्ना के मामले में लिखित में कहीं पर सामने नहीं आई है। इस एफआईआर के आधार पर नई बहस छिड़ सकती है, कि ये सब अन्ना के आंदोलन को कमजोर करने की साजिश का हिस्सा है? और कोई बड़ी बात नहीं कि, ये काम कांग्रेसियों ने ही किया हो या करवाया हो! ताकि इस चिट्ठी की आड़ में अन्ना को चारों ओर से सरकार, पुलिस और सुरक्षाकर्मियों के पहरे में घेर दे। इससे सरकार के दो काम बनेंगे।
एक तो अन्ना आम-आदमी से कुछ दूर हो जायेंगे।
दूसरे, अन्ना के आसपास रहने वाले और उनके पास आने-जाने वालों की मजबूत जानकारी भी बिना कुछ करे-धरे सरकारी तंत्र को मिलती रहेगी। सवाल ये भी पैदा होता है कि
-चिट्ठी दिल्ली पुलिस मुख्यालय के सामने ही क्यों मिली?
-चिट्ठी अनाम और लावारिस ही मिली...
-अन्ना आगामी अनशन भी दिल्ली में ही रामलीला मैदान में करने वाले हैं
-अन्ना टीम के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने एक दो दिन पहले इशारा भी किया है, कि वे अनशन दिल्ली के बजाये मुंबई में भी कर सकते हैं
-क्या इस अनाम चिट्ठी से जोड़कर देखा जाये केजरीवाल के बयान को?
-क्या इस चिट्ठी की आड़ लेकर दिल्ली पुलिस अन्ना को दिल्ली में अनशन न करने का आइडिया देना चाहती है या दे सकती है ...
-ताकि सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे....
-अगर वाकई इस चिट्ठी में लिखी बातों को किसी को अमल में लाना था, तो फिर इस चिट्ठी का खुलासा पुलिस मुख्यालय के सामने पहले ही फेंककर क्यों कर दिया गया?
-ये F I R किस कदर गोपनीय रखी गयी है, इसका अंदाजा इसी बात से चल रहा है, कि दिल्ली पुलिस ने अभी तक इसे अपनी बेवसाइट पर भी लोड नहीं किया है।
पुलिस का पक्ष
मामला अन्ना को जान से मारने की धमकी से जुड़ा है। इससे इसकी गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता (पीआरओ) राजन भगत से इस बारे में पूछा गया। उन्होंने बताया कि एफआईआर दर्ज होने की होने कोई जानकारी ही नहीं है।
आखिर वही हुआ.... लोमड़ियाँ शेरों से जीत गईं
ReplyDeleteशुक्रिया पद्म जी...आपने दो शब्द लिखकर हौसला अफजाई की। अगर फेसबुक पर हैं तो sanjeev chauhan, Editor Crime news Express channel पर request भेद दें। मेरे साथ मेरे ब्लॉग क्राइम वॉरियर crimrwarrior पर भी जुड़ें। साथ ही youtube.com पर मेरा टीवी चैनल है crimefathertv इस पर भी जुड़ने के लिए समय निकालें। शायद आपको कुछ अच्छा लगे या पसंद आ जाये। और इन सब जगह खुलकर अपने विचार रखें। सादर
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