Monday, 9 January 2012
गोपाल दास जासूस...एक मुलाकात
ये फोटो एलबम है गोपाल दास जासूस और उनके परिवार की। करीब 53 साल के गोपालदास मूलत: गुरदासपुर(पंजाब)के रहने वाले हैं। गोपाल दास के मुताबिक वे भारतीय खुफिया एजेंसी "रॉ" के लिए पाकिस्तान की जासूसी करते थे। कई साल जासूसी करने के बाद वे पाकिस्तान में गिरफ्तार कर लिये गये। पाकिस्तान में उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई गयी। 27 साल बाद उन्हें पाकिस्तान से रिहा किया गया। अप्रैल 2011 में गोपाल दास पाकिस्तान की जेल से छूट कर वाघा बार्डर के रास्ते भारत में आये।
इस समय गोपाल दास पत्नी पिंकी के साथ हिमाचल प्रदेश के शिमला में रह रहे हैं। गोपाल दास से मैं नवंबर 2011 में शिमला में ही मिला। जेल-डायरी कार्यक्रम की शूटिंग के सिलसिले में। जेल-डायरी के इंटरव्यू में गोपाल दास ने जेल की ज़िंदगी से जुड़े उन तमाम पहलूओं को भी छुआ, जिन्हें शायद कोई क़ैदी याद करना नहीं चाहेगा। 13 साल तक गोपाल के हाथों में हथकड़ी और पांव में जंग लगी हुई बेड़ियां पड़ी रहीं। गोपाल दास को नाराजगी है तो इस बात पर कि देश की खुफिया एजेंसियां और सरकार, अपने जासूसों के पकड़े जाने पर, और फिर छूटकर उनके वापिस आने पर, कोई उनकी मदद को तैयार नहीं होता। इससे नुकसान जासूस का कम और देश का नुकसान ज्यादा होता है। कोई भी भारतीय देश की ही खातिर सही, सरकार और रॉ एजेंसी के इस रुखे रवैये से खिन्न होकर भला देश के लिए जासूसी क्यों करेगा? गोपाल दास सीधे ये सवाल करते हैं खुद से और सरकार से।
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एजेंसियां तो जासूस के पकड़े जाने पर पल्ला झाड़ लेती हैं। काफ़ी दिनों बाद आपके ब्लॉग़ पर कुछ पढने मिला। आभार
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