To subscribe Crime Warrior Channel on Youtube CLICK HERE

Friday 13 April 2012

बेकाबू-बाबा की “ब्रेकिंग” के बबंडर पर, उनकी चुप्पी का मतलब!


निर्मल बाबा-शुक्रिया न्यूज-चैनलों तुम्हारी "बंदरबाट" के लिए
संजीव चौहान                                       
नींद से बोझिल आंखों को सुबह-सुबह होश में लाने की कोशिश कर ही रहा था। इतने में पत्नी ने कंधा झिंझोड़ डाला। नींद से बोझिल एक आंख खोलकर बीबी की ओर खिसियाई हुई नज़र से देखा। हाथ में अखबार लिए जमी हुई थीं। बोली मुझे मत घूरो। अखबार पढ़ो। ब्रेकिंग-न्यूज है।
क्या मजाक करती हो सुबह-सुबह? अखबार में कहां से ब्रेकिंग का भूत आ गया? ब्रेकिंग का पेटेंट तो भारत में न्यूज-चैनलों ने करा रखा है। अखबार तो विशेष, एक्सक्लूसिव, खास-खबर, विशेष-रिपोर्ट या रपट जैसे पुराने जमाने के अल्फाजों का ही इस्तेमाल करते हैं।
पत्नी बोलीं, ये बहस का मुद्दा नहीं है। ब्रेकिंग और विशेष के झगड़े से बाहर निकलो। अखबार में छपी मतलब की खबर पढ़ो। देश में कोई और बबाली-बाबा पैदा हो गया है। डबल रोटी, मख्खन, टोस्ट, कोल्ड-ड्रिंक से सबकी सेवा कर रहे हैं ये बाबा। मुसीबत में फंसे गरीब लोगों से ये बाबा दक्षिणा भी कोई ज्यादा नहीं ले रहा है। मात्र 2 हजार रुपये।
पत्नी इतना सब बोल चुकीं थीं, कि अब हमें अखबार में छपी बाबा से संबंधित खबर पढ़ने की जरुरत ही नहीं रही। हमने पूछा कि अखबार की उस खबर में अब बाकी क्या बचा है? जिसे पढ़ाने के लिए तुमने हमारी नींद हराम कर दी। पत्नी बोली- बाबा के जन्म की खबर इतनी बड़ी ब्रेकिंग न्यूज नहीं है, जितना इस बबाली-बाबा को लेकर न्यूज चैनलों में मची उठा-पठक की खबर है।
चूंकि न्यूज चैनल में नौकरी की हिस्सेदारी मेरी भी है। सो जैसे ही न्यूज चैनल में किसी ब्रेकिंग को लेकर शुरु हुए बबंडर की बात कान में पड़ी, तो नींद खुल गयी। अखबार में तो सिर्फ इतना ही पढ़ने को नसीब हुआ, कि देश में एक नये बबाली बाबा का जन्म हो गया है। इन बाबा के घर, आश्रम और चेलों में तो कोई भगदड़ और शोर-शराबा नहीं है। हां, न्यूज चैनलों में घमासान जरुर छिड़ गया है। एक अरबपति बाबा को लेकर देश के न्यूज चैनल दो-फाड़ हो गये हैं। 

"फोकट" की पब्लिकसिटी का कारोबार
 एक पक्ष में वे न्यूज चैनल हैं, जो बाबा की ओछी हरकतों को उजागर करके खुद को जनता का जागरुक और हमदर्द नुमाइंदा साबित करने पर उतारू हैं। दूसरे पक्ष में वे न्यूज-चैनल शामिल हैं, जो विज्ञापन के लालच में बाबा को बाप बनाने पर तुले हैं। बाबा अगर विज्ञापन और टीआरपी दें, तो हम लंगोट में भी दुनिया भर में बाबा की बम-बम गुंजाने (गुंजवाने) में शर्म नहीं करेंगे। 
अरबपतिबाबा को लेकर देश का चौथा खंभा (मीडिया, मीडिया में भी सिर्फ न्यूज-चैनल) ज़मीन से उखड़ने पर उतारू था। जिधर देखिये। उधर ही कुछ न्यूज चैनलों पर बाबा का विज्ञापन दिखाई दे रहा था। तो दूसरी ओर कुछ न्यूज चैनलों पर बाबा की ठगी पर विशेष कार्यक्रम। 

टीआरपी और दाम के लिए कुछ भी कर गुजरेंगे
इस बबाली-बाबा के मुद्दे पर पूरे देश में चारों ओर शोर-शराबे के माहोल में भी कहीं अगर खामोशी और शांति थी, तो न्यूज-चैनलों में कंटेंटकी कथित ठेकेदारी करने वाले महारथियों के खेमे में। जो बबाली बाबा की कथित पैदाईश से चंद दिन पहले तक इलेक्ट्रॉनिक-मीडिया की दुनिया में ताल ठोंक रहे थे। कुछ भी हो जाये, चैनल में ऊट-पटांग कंटेंट बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।



2 comments:

  1. पहले विज्ञापन से पैसा कमाया अब भंडाफोड़ कार्यक्रम से टीआरपी कमा रहे है !!

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी रतन सिंह जी, बिलकुल सही फरमाया...

      Delete