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Tuesday, 18 June 2013

हिंदी भवन की शाम, मैं और यादें


 कुछ भूला कुछ याद रहा....क्राइम् वॉरियर


तारीख 16 जून 2013। समय शाम करीब 6 बजे। आईटीओ स्थित दिल्ली का हिंदी भवन।
सुहाना मौसम। बाहर झमाझम बरसात।

हिंदी भवन के तीसरे माले (तल) के सभागार में तमाम बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, साहित्यकारों, कलमकारों, कवियों का मेला। भीड़ में अपनी बात सुनाने वाले और कुछ सुनने वाले दोनो ही श्रेणियों के व्यक्तित्व उपस्थित थे।

इसी भीड़ में एक अदद मैं भी मौजूद रहा। मेरी गिनती किसी में नहीं थी। सिवाये इसके कि, मुझे समारोह में कुछ वीडियो बनाने थे। कुछ फोटो खींचकर इतिहास  का एक दस्तावेज तैयार करना था। आने वाली पीढ़ियों के वास्ते। ताकि वे आइंदा, आज की इस शाम को इतिहास के पन्ने पलटने पर देख और पढ़ सकें। समझ सकें कि, कैसी रही होगी 16 जून 2013 की यह शाम। मैंने वही किया। कुछ वीडियो बनाये। कुछ फोटो खींचे। सब का सब हवाले कर दिया आने वाली पीढ़ियों के । यह ब्लॉग लिखकर। ब्लॉग, फोटो, वीडियो फेसबुक पर डाल दिये। कुछ वीडियो यू-ट्यूब पर अपने चैनल क्राइम्स वॉरियर CRIMES WARRIOR पर डाल दिये। आने वाली पीढ़ियों के लिए।

समारोह में छात्र, दर्शक, श्रोता मैं ही था। बाकी सब मुझे अध्यापक, गुरु और मार्गदर्शक के रुप में ही दिखाई दिये। कुछ मुझसे ज्यादा खूबसूरत थे। कुछ मुझसे ज्यादा काबिल। कुछ मुझसे ज्यादा सब्र वाले थे। कुछ उत्तम कोटि के कवि थे। कुछ अच्छे शब्दकोष के स्वामी थे। कुछ अच्छे वक्ता थे। कुछ अच्छे लेखक थे। मसलन भारत के मशहूर कवि गोविंद व्यास, बाल स्वरुप राही, ओमप्रकाश चतुर्वेदी पराग, साहित्य अकादमी के अध्यक्ष प्रो. विश्वनाथ प्रताप तिवारी, अमरनाथ अमर, विवेक गौतम, सरिता शर्मा और ममता किरण।

अवसर था भारत के मशहूर भवन निर्माता बीएल गौड़(बनवारी लाल गौड़) की काव्य रचना 'कब पानी में डूबा सूरज' (KAB PANI ME DUBA SURAJ) के लोकार्पण का। इसके प्रकाशक हैं, ज्योतिपर्व प्रकाशन। समारोह में तमाम सम्मानितों ने जो कुछ कहा मैंने ध्यान से सुना। कुछ याद रहा कुछ भूल गया। जो मुझे याद रहा वो मेरा। जो भूल गया, वो न मेरा न किसी का रहा। मुझे जो याद रहा वो है....

प्रो. विश्वनाथ प्रताप तिवारी का कथन.....'दुनिया में तुलसीदास से बड़ा दूसरा कवि नहीं हुआ अब तक'।

बीएल गौड़ का कथन- 'मैं दुनिया को भोगता नहीं, खुद को जीता हूं'।

गोविंद व्यास- 'कब पानी में डूबा सूरज' सिर्फ पुस्तक नहीं, साहित्य के लिए धरोहर है।

अमरनाथ अमर- 'अंत में कहने को बचता नहीं सिवाय धन्यवाद के। सो आप सबका धन्यवाद'

बाल स्वरुप राही- 'संवेदना नहीं, तो कुछ नहीं।'

आने वाली पीढ़ियों के लिए वीडियो और फोटो के कुछ लिंक-

1
http://www.facebook.com/media/set/?set=a.471169996300078.1073741827.100002212443156&type=1

2
https://www.youtube.com/watch?v=9Txzk3sXTjI&list=UUNOIcmwtLcMj1uSvsbG7Bdg

3
https://www.youtube.com/watch?v=9diZ_Nw0vjk&list=UUNOIcmwtLcMj1uSvsbG7Bdg

4
https://www.youtube.com/watch?v=TbC84yb_imQ&list=UUNOIcmwtLcMj1uSvsbG7Bdg

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