देश में जब बात दौलत और दवा के अभाव में मौत की आती है, तो मन रोता
है। आबादी के नज़रिये से दुनिया के देशों में तीसरे चौथे नंबर पर होने के बाद हमारे
यहां, आज भी ‘उधार के क़फन’ की जरुरत गाहे-बगाहे पड़ जाती है। मुझे अकेले ही
नहीं, मेरे देश, देश की संस्कृति और देश के संचालकों के लिए भी ये शर्मसार कर देने
वाली स्थिति है। देश को आज जरुरत है,
भगवती प्रसाद की । भगवती प्रसाद से पहले 40 साल की अपनी ज़िंदगी में मैंने कभी
नहीं सुना, कि कोई नेता देश में उधार के क़फन में सोकर शमशान पहुंचा हो। फिर भगवती
के साथ ही आखिर ऐसा क्यों? महज इसलिए कि, भगवती दो बार उत्तर प्रदेश विधान
सभा के विधायक रहने के बाद भी कुछ कमा नहीं सके। क्या वाकई भगवती प्रसाद की स्थिति
इतनी बदतर हो गयी थी, कि पूर्व विधायक होने का तमगा गले में लटका होने के बाद भी
उन्हें दो जून की रोटी के जुगाड़ के लिए चाय की दुकान खोलनी पड़ी। किसी नेता का
भगवती प्रसाद सा हस्र आपने पहले कभी सुना हो तो सुना हो, मेरी याददाश्त में तो कम
से कम ऐसा नहीं हुआ।
अक्सर मैंने तो यही देखा-सुना कि, फलां नेता या उसके रिश्तेदार ने
फलां आदमी की ज़मीन हड़पने के लिए वक्त से पहले ही क़फन में लिपटवा दिया। ऐसे समय
में भगवती की मौत के बाद उन्हें अपनी कमाई का क़फन न मिलना और भी तमाम सवाल खड़े
करता है। मसलन इस देश को आज जरुरत किसकी है? मनमोहन सिंह, नरेंद्र मोदी जैसे लाव-लश्कर
वाले नेताओं की। या फिर उधार के क़फन में बंधकर शमशान जाने के लिए तैयार रहने वाले
भगवती प्रसाद जैसे नेताओं की।
भगवती प्रसाद पूर्व विधायक रहे। यह काफी पुरानी बात हो सकती है। उस
समय पैसे की अपनी अलग अहमियत उस वक्त के हिसाब से रही होगी। लेकिन ऐसा कतई नहीं हो
सकता है, कि उस वक्त पैसा और पानी में कोई फर्क ही नहीं रहा हो। पैसा तो तब भी
जरुरत रही होगी। फिर आखिर भगवती प्रसाद ऐसी कौन सी गलती कर गये, जिसका खामियाजा
उन्हें जिंदगी के आखिरी दौर तक या यूं कहें कि, शमशान तक भोगना पड़ा। जिसके चलते
भगवती प्रसाद को उधार के क़फन में लिपटकर शमशान जाना पड़ा।
क्या भगवती आज के कुछ तेज-चाल नेताओं की सी तबियत और फितरत नहीं रखते
थे। आज के नेताओं के मुकाबले बीते कल के नेता भगवती प्रसाद के उसूल क्या कहीं
ज्यादा ऊंचे और मजबूत थे। भगवती प्रसाद ने कभी अपने लिए दो रोटी का जुगाड़ विधायक
रहते हुए कर लेने की क्या सोची नहीं थी! अगर सोची थी, तो फिर आखिर में उन्हें उधार के
क़फन में जाने की जरुरत क्यों पड़ गयी!
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