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Friday, 17 October 2014

सूरज उगने से पहले ही जा डूबा गहरे सागर में...

रोटी कपड़ा और मकान, क्रांति जैसी चर्चित भारतीय फिल्मों को गीतकार परम आदरणीय श्री संतोष आनंद जी

के पुत्र और पुत्रवधू के 14 अक्टूबर 2014 को मथुरा में हुए दर्दनाक देहावसन पर भारत के मशहूर ओजस्वी और

दो टूक लिखने कहने के लिए चर्चित परम आदरणीय श्री राजेंद्र राजा जी की श्रीलेखनी से बहकर निकल आये

अल्फाजों की एक बानगी....

शहनाई के स्वर मातम में कैसे बदल गये मत पूछो, 
हसने के वे पल भी गम में कैसे बदल गये मत पूछो।
सूरज उगने से पहले ही जा डूबा गहरे सागर में, 
घर के उजियाले भी तम में कैसे बदल गये मत पूछो।।.....राजेंद्र राजा

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