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Monday 1 December 2014

‘गवर्नर ऑफ इंडिया’ एंकरिंग कांड में डीडी प्रमुख मुंबई के इस्तीफे की दरकार है!

-संजीव चौहान-
सोशल मीडिया से ही सुना-पढ़ा है कि गोवा फिल्म फेस्टीवल में डीडी नेशनल का बैंड बजवा चुकी, महिला एंकराइन को लेकर संस्थान में ही कई फाड़ हो गये हैं। प्रसार भारती के सीईओ जवाहर सिरकार इस सवाल के जबाब को लेकर व्याकुल हैं, कि इतने महत्वपूर्ण कार्यक्रम की कवरेज के लिए इन भद्र और अनुभवहीन महिला एंकर को गोवा भेजा ही क्यों गया? इस सवाल की पड़ताल के लिए प्रसार भारती ने अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के आला-अफसर को दिल्ली से मुंबई भेजा है। साथ ही प्रसार भारती ने इस सब कलेश को सिस्टम फेल्योर मान लिया है।

सुना है कि, डीडी की मट्टी पलीत कराने वाली आरोपी एंकराइन सदमे में हैं। मेरी समझ में नहीं आता, कि गल्ती मानने के बजाये और एंकरिंग से अपने पांव खुद ही पीछे खींचने के बजाये, मैडम सदमे में क्यों चली गयी हैं? दुनिया भर में डीडी की थू-थू कराने वाली इन अनुभवहीन मैडम के परिवार ने मुंबई पुलिस की शरण ली है। परिवार चाहता है, कि मैडम ने जो कुछ किया है। मैडम के कारनामे का जो वीडियो दुनिया में फैला है। उस वीडियो को यू-ट्यूब से गायब करा दिया जाये। ताकि न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी। मतलब जब वीडियो ही गायब हो जायेगा, तो फिर लल्ली के कारनामे पर जमाना हंस ही कैसे पायेगा? बहुत सही। क्या रास्ता अख्तियार किया है परिवार और डीडी की मट्टी पलीत कराने वाली महिला एंकराइन ने। अरे अगर थीड़ी सी भी समझ है, तो मैडम को ऐसी थू-थू-मय पत्रकारिता और इतनी घटिया स्तर की एंकरिंग को लात मार देनी चाहिए। यह तो कुछ कर नहीं पायीं। परिवार उतर आया है मैडम के कारनामे को ज़मींदोज कराने पर। इस रणनीति के तहत कि पुलिस से तुर्रेबाजी कराके वीडियो हटवा दो...और जो कुछ जमाने भर के सामने आ चुका है हमेशा-हमेशा के लिए उसे सुपुर्द-ए-खाक करा दो।
वाह बहुत खूब। क्या शानदार और निर्लज्जता का रास्ता अख्तियार कर रही हैं मोहतरमा और उनके शुभचिंतक परिवारीजन। इतना सब डीडी का मजाक उड़वाने के बाद परिवार का यह तुर्रा कि, मैडम इसलिए बीमार हो गयी हैं, क्योंकि उनका वो वीडियो यू-ट्यूब पर है, जिसमें उनकी कथित काबिलियत का सबसे बड़ा नमूना क़ैद हो चुका है (हकीकत में असलियत)। अरे मैडम और मैडम के परिवार वालो तुम चाहते हो कि, तुम्हारी और तुम्हारी लल्ली, और डीडी में बैठे तुम्हारी लल्ली जैसे नाकाबिलों के खैर-ख्वाहों की खुशी की खातिर तमाम जमाना अपनी आंखों को गरम सूजों से फोड़ ले। ऊं हूं....न कतई नहीं। तुम्हारी यह डिमांड बहुत गलत है। तुम अपनी खुशी के लिए तो मुंबई पुलिस से सबको गलत साबित कराने पर तुली बैठी हो। सबकी आंखों और जुबां बंद कराने की तमन्ना संजो रही/रहे हो। जरा एंकराइन (अधकचरी एंकराइन) मैडम और उनके शुभ-चिंतको यह तो सोचो और देखो ठंडे-संतुलित दिमाग से, कि डीडी के इतिहास में किस हद तक का काला-पन्ना दर्ज करा बैठी हैं, यह अनुभवहीन और अल्पज्ञानी एंकराइन जी।
अब आओ डीडी के मुंबई प्रमुख कोई मुकेश शर्मा से भी दो-टूक बात कर लें। इस एंकर-नामा या एंकरिंग-एंकराइन-कांड के लिए सीधे तौर पर जबाबदेही इन्ही शर्मा जी की बनती है। वजह, श्रीमान जी मुंबई डीडी के सिरमौर मतलब सर्वे-सर्वा यह शर्मा साहब ही हैं। डीडी में कैसे-कैसे नव-रत्न तराश कर फिटकिये या कराये जाते हैं...या अब तक किये जाते रहे हैं...इसका नमूना मैडम एंकराइन के श्रीमुख से निकली वो एंकर-धारा है, जो किसी भी पत्रकार/ मीडिया से जुड़े इंसान के दिमाग को पिघलाकर उसमें मट्ठेका सा असर कर सकती है। मैडम की तरफदारी में गलतियों को घोटकर पीने के लिए मैदान में उतरे शर्मा जी फरमा रहे हैं कि, मोहतरमा की एंकरिंग के दौरान तकनीकी परेशानियां थीं। मसलन.....

1-मैडम का इयरफोन सुचारु रुप से काम नहीं कर रहा था।
2-सरकारी चैनल में सरकारी स्तर का धक्कम-धक्का इयरफोन बीमार होने के चलते एंकराइन-मैडम शो-प्रोड्यूसर से निर्देश नहीं ले पा रही थीं।
3-गोवा में फिल्म फेस्टीवल की भीड़ देखकर अल्पज्ञानी एंकर मैम नर्वस हो गयी थीं।
इन अज्ञानी (अ-प्रैक्टिशनर) एंकराइन की बेजा कलाकारी के चलती जिस डीडी नेशनल दुनिया भर में अपनी ऐसी-तैसी करानी पड़ गयी, उसके मुंबई प्रमुख शर्मा जी अंत में फरमाते हैं कि (फिजूल में चर्चित हुईं) महिला रिपोर्टर की रिपोर्टिंग स्तरीय नहीं थी।
सुनो शर्मा जी अब आप मेरी सुनो। आप खुद ही मान रहे हैं कि, मैडम एंकराईन इयरफोन पर शो-प्रोड्यूसर से ज्ञान गटक कर (लेकर, ग्रहण करके) आगे (डीडी के दर्शकों को) लाइव एंकरिंग में ज्ञान बघारकर खुद को काबिल जताने में जुटी थीं। मतलब एंकरिंग और एंकराईन दोनो की ज़मीन बैसाखियों (शो-प्रोड्यूसर) पर चिपकी/ लिपटी पड़ी थी। मुंबई डीडी के शर्मा जी प्रमुख आप होंगे, लेकिन बताना चाहूंगा, कि एक अच्छे एंकर/ रिपोर्टर के लिए लाइव के दौरान खुद ही अपने मुंह, हासिल अनुभव और ज्ञान से दर्शकों को ज्ञान देना होता है। इसमें शो-प्रोड्यूसर कुछ नहीं करता। मैडम ने अपने अल्पज्ञान के चलते लाइव में ही गवर्नर ऑफ इंडिया धर पेला। इसमें इयरफोन, स्वंय आप, मैं, शो-प्रोड्यूसर या कोई और (जो मैडम के अलावा आपकी नजर में जिम्मेदार हो) जिम्मेदार नहीं हो सकता।
डीडी के मुंबई प्रमुख मुकेश शर्मा जी के मतानुसार- समारोह की भीड़ देखकर मोहतरमा नर्वस हो गयीं। अब इसका जबाब भी आपको ही देना होगा, कि नर्वस होने वाली इतनी कमजोर कर्मचारी को लाइव एंकरिंग के लिए क्यों, आपके किस चहेते अधीनस्थ ने गोवा में जबरिया लाइव कराके डीडी नेशनल की इस कदर बैंड बजवाने के लिए भेजा। और आपने अब तक उसका क्या हिसाब-किताब फाइनल किया? अपनी पूरी सफाई-रामलीला के अंत में शर्मा जी मोहतरमा की रिपोर्टिंग को स्तरीय नहीं मानते हैं। तो शर्मा जी अब आप बताईये कि, इसमें सोशल-मीडिया यह हमारे जैसे कम-अक्ल दो-चार लाइनें आपकी और आपकी एंकर मैडम की काबिलियत पर लिख-धरने वाले कहां और क्यों जिम्मेदार हैं? शर्मा जी अपना गिरहवान झांकिये, सब-कुछ मसाला तुम्हें वहीं दिखाई दे जायेगा। जरुरत है तो बस सिर्फ-और-सिर्फ आपको, मैडम को, मैडम को परिवार वालों को एक अदद ईमान की नजर से देखने भर की। मेरी ईमान भरी नज़र में तो इस पूरे तमाशे के लिए सबसे बड़े जिम्मेदार स्वंय आप और आपके वे तमाम अधीनस्थ (जी-हजूरी करने वाले) हैं, जो आपकी हां-में-हां मिलाकर, आपकी तरह ही इस तरह की गुस्ताखियों को कफन-दफन करके इस तरह के अल्पज्ञानियों को सजा देने के बजाये उन्हें उल्टे बचाकर उनका भविष्य खाई-खंदकों में दबाने के रास्ते तलाशते हैं।
बताईये भला..जिन मैडम की एंकरिंग का वीडियो दुनिया में गदर मचाये हुए है। जो वीडियो और मैडम, मीडिया के लिए माथा-पच्ची का कारण बने हुए हैं। जिन मैडम ने इतना बड़ा बलंडर (ब्लंडर) मीडिया और अपने देश के सबसे सम्मानित समझे जाने वाले डीडी नेशनल चैनल की झोली में जबरिया ही धर-फेंका हो, उन मैडम के इस सब करे-धरे पर सही-बयानीकरने पर भी खुद मैडम और उनका परिवार अब हमारी (पाठक-लेखकों) आंखों पर जबरिया काली पट्टी और मुंह पर सिलाई लगवाने की जुगत मे है, मुंबई पुलिस से। क्या यह उससे भी ज्यादा घातक साबित नहीं होगा, जितना मैडम गोवा फिल्म फेस्टीवल में गवर्नर ऑफ इंडिया परोस और पेश करके वापिस मुंबई लौट आई हैं!


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