ये फोटो हैं मो. हाशिम कुरेशी की। ये फोटो अक्टूबर 2011 में उस वक्त मैंने लीं, जब हाशिम कुरेशी की जेल-डायरी की शूटिंग के लिए मैं उनके घर निशात, शालीमार (श्रीनगर, कश्मीर) पर गया था। हाशिम साहब से दो राउंड में करीब पांच घंटे मेरी बातचीत हुई। इस बातचीत में हाशिम साहब ने बचपन से लेकर और अब तक की अपनी ज़िंदगी बयां की। बे-खौफ, बेफिक्र होकर। इस लंबी बातचीत में उन्होंने बताया कि कैसे पहली बार वे महज 11 साल की उम्र में ही रात भर थाने की हवालात में बंद रहे। इसके बाद 1971-72 में उन्होंने रिश्ते में अपने एक भाई के साथ इंडियन एअरलाइंस का हवाई जहाज "गंगा" का अपहरण कर लिया। इस हवाई-जहाज में मय क्रू मेम्बरान के करीब 30 लोग सवार थे। ये हवाई जहाज जम्मू से श्रीनगर की उड़ान पर था। उसी वक्त हाशिम और उनके भाई अशरफ ने हवाई जहाज के पायलट और को-पायलट को काबू कर लिया। दोनो भाईयों के हाथों में हथगोले और हथियार थे।
अपहरण की योजना मकबूल भट्ट ने बनाई थी। और उसे अमल में लाये, हाशिम और अशरफ। अपहरण के बाद "गंगा" को लाहोर (पाकिस्तान) ले जाया गया। वहां जब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को अपहरण की ह़कीकत पता चली, तो उसने खिसियाकर हवाई जहाज "गंगा" में आग लगवा दी।
दोनो अपहरणकर्ताओं पर पाकिस्तान में मुकदमा चला। सजा हुई। करीब नौ साल हाशिम कुरेशी पाकिस्तान की जेलों में क़ैद रहे। इसके अलावा कई अन्य देशों सहित भारत की दिल्ली में मौजूद तिहाड़ जेल में भी बंद रहे। हाशिम के भाई और "गंगा" के सह-अपहरणकर्ता अशरफ को पाकिस्तान में ही शरण मिल गयी।
पाकिस्तानी हुक्मरानों ने हाशिम कुरेशी को भी पाकिस्तान में बसकर भारत के खिलाफ काम करने को कहा। मोटी रकम का लालच भी दिया। लेकिन हाशिम कुरेशी किसी तरह भारत भाग आये।
हाशिम के मुताबिक जेलों में उन्होंने गीता, महाभारत भी पढ़े। और समझा कि पंडित, मौलवी की बातों में आने से बचें। ये अशांति फैलाने का काम करते हैं। कोई भी धर्म किसी को खून-खराबे की इजाजत नहीं देता। फिलहाल हाशिम कुरेशी श्रीनगर (कश्मीर) में "निशात", शालीमार में परिवार के साथ खुशहाल ज़िंदगी जी रहे हैं। कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के नेताओं द्वारा अपनी जा रही गलत, स्वार्थपूर्ण नीतियों को कोसते हुए।
हाशिम कुरेशी के साथ संजीव चौहान |
अपहरण की योजना मकबूल भट्ट ने बनाई थी। और उसे अमल में लाये, हाशिम और अशरफ। अपहरण के बाद "गंगा" को लाहोर (पाकिस्तान) ले जाया गया। वहां जब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को अपहरण की ह़कीकत पता चली, तो उसने खिसियाकर हवाई जहाज "गंगा" में आग लगवा दी।
दोनो अपहरणकर्ताओं पर पाकिस्तान में मुकदमा चला। सजा हुई। करीब नौ साल हाशिम कुरेशी पाकिस्तान की जेलों में क़ैद रहे। इसके अलावा कई अन्य देशों सहित भारत की दिल्ली में मौजूद तिहाड़ जेल में भी बंद रहे। हाशिम के भाई और "गंगा" के सह-अपहरणकर्ता अशरफ को पाकिस्तान में ही शरण मिल गयी।
पाकिस्तानी हुक्मरानों ने हाशिम कुरेशी को भी पाकिस्तान में बसकर भारत के खिलाफ काम करने को कहा। मोटी रकम का लालच भी दिया। लेकिन हाशिम कुरेशी किसी तरह भारत भाग आये।
हाशिम के मुताबिक जेलों में उन्होंने गीता, महाभारत भी पढ़े। और समझा कि पंडित, मौलवी की बातों में आने से बचें। ये अशांति फैलाने का काम करते हैं। कोई भी धर्म किसी को खून-खराबे की इजाजत नहीं देता। फिलहाल हाशिम कुरेशी श्रीनगर (कश्मीर) में "निशात", शालीमार में परिवार के साथ खुशहाल ज़िंदगी जी रहे हैं। कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के नेताओं द्वारा अपनी जा रही गलत, स्वार्थपूर्ण नीतियों को कोसते हुए।
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