सुनो, चलो छोड़ो-भूलो आज सब कुछ,
ज़िंदगी के झंझटों से मुक्त हो जाते हैं
नहीं आये वो करीब तो कैसा ग़म चलो ,
अपने आंसूओं में उनके लिखे ख़त डुबाते हैं
आज तो मुझ पर रहम खाना मेरे ख्वाबो तुम
ख़त थीं फ़कत निशांनियां यार की वो भी मिटा दीं
कसम है तुम्हें ख्वाबो आज मुझे चैन से सोने दो.....चौहान राजा
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